भिवानी, 5 फरवरी: गांव के लोगों को गांव में ही काम देने के उद्देश्य से बनाई गई मनरेगा योजना भिवानी जिला के गांव संडवा के मजदूरों के लिए बेकार साबित हो रही है। क्योंकि इन मजदूरों को पिछले तीन सालों से काम की ऐवज में नाममात्र ही पैसा मिला है। गांव संडवा के मनरेगा मजदूरों का कहना है कि गांव के दर्जनों मजदूरों के पैसे वर्ष 2016 से बकाया है। जिसकी शिकायत वे सरपंच, बीडीपीओ, उपायुक्त कार्यालय व सीएम विंडो में कर चुके हैं, परन्तु उनका बकाया पैसा उन्हें अभी तक नहीं दिया गया। इसके अलावा जिला परिषद चेयरमैन रमेश ओला व भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह के समक्ष भी वे अपनी गुहार लगा चुके हैं।
गांव संडवा के मनेगा मजदूर, अनिल, राजबीर व अनिल कुमार ने बताया कि वर्ष 2016 से लेकर 2019 तक उन्होंने लगभग 100 दिन से भी ज्यादा काम किया था, परन्तु उन्हे नाममात्र के पैसे मिले हैं, जो उनके 15 से 20 दिन की दिहाड़ी के ही बनते हैं। बकाया मनरेगा मजदूरी को लेकर वे बार-बार अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं, परन्तु उन्हे उनकी पूरी मजदूरी अभी तक नहंी मिल पाई है।
आरोप है कि लंबे समय से मजदूरी न मिलने के कारण वे आर्थिक रूप से काफी परेशान है। गांव के दर्जनों मजदूरों के 5 से 25 हजार रूपये तक बकाया होने का आरोप मनरेगा मजदूरों ने लगाया है। ऐसे में उनकी प्रशासन व सरकार से गुहार है कि उन्हे काम के बदले बकाया पैसा जल्द उपलब्ध करवाया जाए। इस संबंध में जब गांव संडवा के सरपंच प्रतिनिधि से बात की गई तो उनका कहना था कि रिकॉर्ड के अनुसार मजदूरों को पैसा दिया गया है, जबकि मजदूरों का दावा है कि उन्होंने अधिक दिन काम किया है। ऐसे में अब प्रशासन क्या भूमिका निभाता है, यह देखने वाली बात होगी।